अक्सर हम सुनते आये हैं कि किताब ही इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती है, दुनिया में तो लोग हमेशा साथ रहते नहीं हैं लेकिन किताब ऐसी है , जो इंसान के साथ हमेशा रहती है, लोग उसे छोड़ दें लेकिन किताबें लोगो को नहीं छोड़ती हैं। लेकिन कहते हैं ना अपवाद हर जगह होते हैं। इसलिए ये बातें हर समय सही हो ये कह पाना थोड़ा मुश्किल हैं। www.journalisttoday.com में छपी खबर के मुताबिक रोमांटिंक किताबें हमेशा अच्छी दोस्त साबित नहीं होती हैं। क्योंकि जिनको किताबें पढ़नी आदत होती है, वो उसी की तरह व्यवहार करने लगते हैं।
उनके दिल दिमाग पर केवल किताबी व्यक्तित्व ही छाये रहते हैं और जब इंसान यथार्थ के धरातल पर आता है तो उसके लिए दिक्कत हो जाती है क्योंकि वो अपनी लव लाईफ को किताब की लाईफ से तुलना करने लगता है और जब उसे उसके साथ तालमेल मिलता नहीं दिखायी देता तो वो डिप्रेशन या कलह को जन्म दे देता है।
किताबों में जो ज्ञान होता है उससे युवागण भटक भी सकते हैं क्योंकि वो उसी को आधार बनाकर जीने लगते हैं। रोमांटिंक, सेक्स और लव की किताबों में अक्सर अधकचरा ज्ञान होता है जिसके चलते हमारे युवा भटक जाते हैं, अक्सर इन किताबों में सेक्स के नाम पर जो परोसा जाता है वो बेहद अश्लील और उत्तेजक तो होता है लेकिन उनमें भटकाव ज्यादा होता है।
जिसके चलते हमारे युवा मनोरंजित और सुखी होने के बजाय भ्रमित और कई भयावह यौन रोगों के शिकार हो जाते हैं। इसलिए प्रेम, रोमांस और सेक्स संबधित किताबें पढ़ने वाले लोग अपनी आंख-कान खोलकर किताबें पढ़े और उस पर अमल करें।