एक नए शोध से पता चला है कि 45 से ज़्यादा उम्र के लोगों में सेक्स के माध्यम से होने वाले संक्रमण अधिक तेज़ी से बढ़ते हैं जो काफ़ी चिंता की बात है. 'द हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी' का अध्ययन बताता है कि इसके लिए इंटरनेट डेटिंग और शक्तिवर्धक दवाएँ कुछ हद तक ज़िम्मेदार हैं.
पुरुषों को हरपीज़, सिफ़लिस, गनोरिया और जननांगों के मस्सों से पीड़ित होने की आशंका ज़्यादा रहती है. 'सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफ़ेक्शंस' में प्रकाशित एक अध्ययन में क्लीनिक में आने वाले मरीज़ों पर गौर किया गया.
इस अध्ययन में पाया गया कि सेक्स के लिए स्वास्थ्य अभियानों के बावजूद युवा और प्रौढ़ दोनों में ही यौन संक्रमणों की संख्या बढ़ती जा रही है. द हैल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी (एचपीए) ने 1996 से 2003 के बीच पश्चिम मिडलैंड्स के क्लीनिकों में आनेवाले लोगों का अध्ययन किया.
दोगुने से ज़्यादा
इनमें से ज़्यादातर लोग युवा थे जो 2003 में क्लीनिकों में आए लोगों का 95 फ़ीसद थे. जबकि 45 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में यह अनुपात इससे पहले के आठ सालों के मुक़ाबले बढ़ा है.
कुल मिलाकर यह संक्रमण 4,445 प्रौढ़ लोगों में पाया गया जबकि इनमें से आधे लोगों में जननांगों पर मस्से पाए गए. इसके बाद सबसे ज़्यादा पाई जाने वाली बीमारी थी हरपीज़ जो बीमारी से ग्रस्त पाँच लोगों में से एक को थी.
पचपन से 59 की उम्र वाले पुरुषों और महिलाओं में सेक्स संक्रमण होने की आशंका सबसे ज़्यादा पाई गई जबकि महिलाओं से ज़्यादा पुरुष संक्रमित मिले. आठ साल के अंतराल में एक लाख की जनसंख्या पर संक्रमण की दर 16.7 से 36.3 यानी दोगुने से भी ज़्यादा हो गई.
बर्मिंघम में एचपीए की स्थानीय निगरानी इकाई के डॉ बेबतुंडे ओलोकुरे कहते हैं, "सेक्स स्वास्थ्य के अभियान फ़िलहाल 25 से कम उम्र के युवा वर्ग पर केंद्रित हैं लेकिन हमारे परिणाम यह दर्शाते हैं कि सेक्स मामलों में रिस्क लेने की प्रवृत्ति युवाओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि 45 से ज़्यादा उम्र के लोगों में भी यह मामला बढ़ रहा है."
अनदेखी
उन्होंने कहा कि इस उम्र के लोगों में कंडोम का कम प्रयोग करने के संकेत मिले हैं, शायद इसलिए क्योंकि तब गर्भधारण का ख़तरा नहीं रहता. डॉ बेबतुंडे ओलोकुरे ने कहा, "बढ़ती अंतरराष्ट्रीय यात्राएँ, इंटरनेट डेटिंग, नई शक्तिवर्धक दवाएं भी इसके कारण हो सकते हैं."
एफ़पीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जूली बेंटली ने कहा, "हमने यह भी ग़ौर किया है कि हमारी हेल्पलाइन पर फ़ोन करने वाले 45 से ज़्यादा उम्र के लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है."
उन्होंने कहा, "दुखद बात है कि इस उम्र वर्ग के पुरुषों और महिलाओं के सेक्स संबंधी मामलों को बहुत अनदेखा किया जाता है और यही एक ऐसी बात है जिस पर हम सबसे ज़्यादा चिंतित हैं."
उनके अनुसार ऐसी सभी सेवाएं 25 साल के युवाओं पर ही केंद्रित हैं और 45 से ज़्यादा उम्र के लोग सोचते हैं कि उन्हें सेक्स संबंधी स्वास्थ्य से कुछ लेना-देना नहीं है और ख़तरा मोल लेते वक्त उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी तक नहीं होती.
एचआईवी से संबंधित एक चैरिटी से जुड़ी लीज़ा पावर कहती हैं, "सेक्स केवल युवाओं की बपौती नहीं है और गनोरिया और सिफ़लिस उम्र को नहीं देखते. लंबे समय के संबंधों से बाहर निकलने वाले लोग शायद कंडोम इस्तेमाल न करने के ख़तरों को नहीं जानते."