आम तौर पर पुरुष जब महिलाओं से बात करना शुरू करते हैं, तो उनकी निगाहें सीधी आंखों से टकराने के बजाये पहले उनके वक्ष पर जाती है। उसके बाद गर्दन की ओर देखते हैं और फिर आंखों से आंखें मिलती हैं। खास बात यह है कि ऐसी बॉडी लैंगवेज को सामने वाली लड़की तुरंत समझ जाती है और उसे उस व्‍यक्ति की सोच के बारे में अंदाजा हो जाता है। लेकिन ऐसे में हर बार पुरुष की मानसिकता गलत नहीं होती है।
अध्‍ययन के मुताबिक पुरुषों का यह व्‍यवहार होता है कि वो बात की शुरुआत करते वक्‍त सबसे पहले वक्ष की ओर देखते हैं। असल में पुरुषों को लगता है कि वक्ष ही उनके नारित्‍व को ठोस बनाते हैं और सेक्‍सफील के माध्‍यम से कनेक्‍शन स्‍थापित करते हैं। अध्‍ययन के मुताबिक अगर वख छोटे या अत्‍याधिक बड़े हैं तो पुरुष ज्‍यादा देर तक छाती की तरफ नहीं देखते। उनकी नजर सेकेंड से भी कम समय में वक्ष से हट जाती है। बात करते वक्‍त पुरुष की नज़र तभी वक्षों की ओर ज्‍यादा बार जाती है जब वक्ष सेक्‍सी और मध्‍यम साइज के हों।
यदि वस्‍त्रों के बाहर से हलकी झलक दिख रही है तब भी बात करते वक्‍त पुरुष की नजर महिला की छाती पर एक से अधिक बार आती है। वक्षों के आकर्षक होने पर पुरुष ठीक तरह से संचार स्‍थापित नहीं कर पाते हैं। उनका दिमाग उन्‍हें जबरन छाती की ओर देखने के लिए कहता है। इस वजह से कई बार न चाहते हुए भी पुरुष की नजरें उस पर पड़ती हैं। ऐसे में कई बार महिलाओं को गलतफहमी भी हो जाती है।
अध्‍ययन के मुताबिक यदि महिला दूर खड़ी है या पुरुष की ओर नहीं देख रही है। तब भी 95 प्रतिशत से ज्‍यादा पुरुषों की सबसे पहली नजर उनकी छाती पर ही पड़ती है। पास आने पर भले ही नजर हट जाये। संभोग के दौरान भी वक्षों का काफी अहम रोल होता है। सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचने में वक्ष काफी मददगार होते हैं। असल में कई बार सेक्‍स की शुरुआत भी यहीं से होती है।
अध्‍ययन के मुताबिक 69 प्रतिशत महिलाएं अपने वक्षों को उभरा हुआ बनाने की जुगत में रहती हैं। वो भी सिर्फ इसलिए ताकि पुरुष उनकी ओर आकर्षित हों।