हाथ, पैर, कमर, आदि के फ्रेक्‍चर के बारे में आप हमेशा से सुनते आए होंगे, लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि आपके लिंग में भी फ्रेक्‍चर हो सकता है? यह सवाल आपको बड़ा अटपटा लगा होगा। सोच रहे होंगे आखिर बगैर हड्डी के फ्रेक्‍चर कैसे हो सकता है, लेकिन यह सही है। असल में लिंग की ऊतक यानी टिश्‍यूज़ जब टूट जाती हैं, तो उसे पेनाइल फ्रेक्‍चर कहते हैं। इसे ब्रोकेन पेनिस भी कहा जाता है।
कामसूत्र में कहा गया है कि संभोग प्रेम का स्‍वरूप है। अब प्रेम के इस स्‍वरूप में अगर आप उत्‍तेजना में आकर भयावह रूप धारण कर लेते हैं, तो आपको या आपकी संगिनी दोनों को नुकसान पहुंच सकता है। पुरुषों की बात की जाए तो ज्‍यादा उत्‍तेजित होकर गलत ढंग से सेक्‍स करने से पेनाइल फ्रेक्‍चर हो सकता है। यही नहीं अचानक चोट लगने से भी ऐसा हो सकता है।
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चिकित्‍सकों के मुताबिक लिंग के अंदर दो नलियां होती हैं, जो मांसपेशियों के बीच से होकर जाती हैं। ये वो मांसपेशियां होती हैं, जो सेक्‍स के समय कड़ी हो जाती हैं। जिस समय लिंग कड़ा व मोटा हो जाता है, तब मांसपेशियों में खिंचाव होता है। ऐसी स्थिति में यदि टिश्‍यू पर आघात पहुंचता है तो वो टूट जाती हैं। उस दौरान हलका स खून भी निकलता है। लिंग में सूजन आ जाती है। लिंग नीला पड़ जाता है। लिंग एकदम से ढीला पड़ जाता है, लेकिन उसमें सूजन बनी रहती है। ऐसी स्थिति में असहनीय दर्द उठता है। पेनाइल फ्रेक्‍चर लिंग को जबरदस्‍ती मोड़ने या मरोड़ने से भी हो जाता है। संभोग के दौरान पेनाइल फ्रेक्‍चर होने का खतरा सबसे अधिक तब होता है जब स्‍त्री पुरुष के ऊपर होती है। यही नहीं फोर-सेक्‍स के दौरान भी ऐसा संभव है।
सर्जरी ही इसका इलाज
पेनाइल फ्रेक्‍चर होने पर इसका सिर्फ एक मात्र इलाज है। वो है सर्जरी। ज्‍यादातर मामलों में सर्जरी सफल होती है। यौन चिकित्‍सकों के मुताबिक सर्जरी के बाद फिर से सेक्‍स करने में सक्षम हो जाता है। लेकिन यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो आगे चलकर गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है।