नई दिल्ली। सेक्स के दौरान कंडोम के इस्तेमाल की दो अहम वजहें होती हैं। इसमें एक होती है अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकना और दूसरा होता है बीमारियों से बचना लेकिन हर बार कंडोम पहनने के बावजूद इस मकसद को पूरा करे ये जरूरी नहीं।
कंडोम 90 फीसदी सुरक्षित तो 10 फीसदी असुरक्षित
कंडोम यौन रोगों को रोकने और अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने में 90 फीसदी तक कामयाब माने जाते हैं लेकिन 10 फीसदी चान्स इनके फेल होने के होते हैं। इसके साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखना खासकर महिला पार्टनर को जरूरी होता है।
फोरप्ले के दौरान भी होते हैं स्पर्म ट्रांसफर
फोरप्ले के दौरान महिला जब कंडोम पहनने से पहले पेनिस को छूती है तो उस दौरान भी स्पर्म हाथ को लग जाते हैं। महिला उन्ही हाथों से साथी को कंडो पहनाती है तो कंडोम के बाहर की तरफ वो स्पर्म लग जाते हैं। अब जब पेनिस वजाइना में जाता है तो ये स्पर्म भी भीतर चले जाते हैं।
कंडोम का फट जाना
कई बार जब सेक्स के बाद पेनिस वजाइना से निकलता है तो देखा जाता है कि कंडोम फट गया है। इस तरह के मामलों में इंफेक्शन के चांस रहते हैं। इसके साथ-साथ कुछ महिलाओं को कंडोम से एलर्जी होती है, खासतौर से तब जब डॉटेड कंडोम का यूज किया जाए। दरअसल ये औरत के संवेदनशील हिस्से को नुकसान करते हैं, तो वो आनंद की जगह परेशानी का सामना करती हैं। इस तरह से कंडोम के इस्तेमाल में ये ध्यान रखना जरूरी है।